3डी में देख सकेंगे अब दिल्ली! अस्पतालों से लेकर नालों तक किया जाएगा सर्वे, जगह-जगह उड़ते दिखेंगे ड्रोन, नक्शा अपडेट करने की तैयारी
3डी में देख सकेंगे अब दिल्ली! अस्पतालों से लेकर नालों तक किया जाएगा सर्वे, जगह-जगह उड़ते दिखेंगे ड्रोन, नक्शा अपडेट करने की तैयारी
नई दिल्ली।
दिल्ली को अब 3डी में जल्द देख सकेंगे। 12 साल बाद फिर से दिल्ली का नक्शा अपडेट करने की तैयारी हो चुकी है। इस बार लैंड डाटाबेस तैयार करने के साथ अंडरग्राउंड और जमीन के ऊपर बनी इमारतों की 2डी और 3डी पिक्चर्स तैयार की जाएगी, जिसका इस्तेमाल विभिन्न विभागों और राजधानी में निर्माण से जुड़ी कंपनियां कर सकेंगी। इस भू-स्थैतिक (Geospatial) डाटाबेस को तैयार करने के लिए बाकायदा ड्रोन की मदद ली जाएगी।
इस डाटाबेस को तैयार करने के लिए अंडरग्राउंड एसेट जैसे ड्रेन, सीवर, वाटर पाइप और पॉवर लाइंस के आंकड़े जुटाए जाएंगे। इसी तरह, बिल्डिंग्स, बाउंड्रीज, पॉवर केबल्स, बस और मेट्रो नेटवर्क, स्कूल, अस्पताल, बाजार, सामुदायिक भवन और अन्य धार्मिक संस्थानों जैसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरिजाघरों का आंकड़ा और लोकेशन भी इस डाटाबेस में एकत्र किया जाएगा।
ये है इसका मकसद
सरकार ने तय किया है कि दिल्ली के लैंड डाटाबेस को दोबारा अपग्रेड किया जाए और इसमें ज्यादा सटीक सूचनाओं को शामिल करने के साथ उसकी 2डी और 3डी इमेज भी अपलोड की जाए। इसका मकसद एकीकृत एप्लीकेशन सर्विसेज जैसे गूगल मैप या इसी तरह की अन्य इंटरनेट से जुड़ी सेवाओं को अप-टू-डेट करने के साथ हाई रिज्योलूशन में उसकी जानकारी उपलब्ध कराना है। इस काम के लिए साल 2008 में जियोस्पैशियल दिल्ली लिमिटेड (GSDL) नाम से कंपनी बनाई गई थी। अब यह कंपनी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर इस डाटाबेस को और अपग्रेड करेगी।
यहां से होगी शुरुआत
मामले से जुड़े अधिकारी का कहना है कि फिलहाल इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा रहा है। शुरुआत में महरौली, मसूदपुर और रंगपुरी गांव के 26 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर किया जाएगा। यह सभी डाटा हाई-रिज्योलूशन के साथ 2डी और 3डी में कवर किया जाएगा। इसका आकार 5 सेंटीमीटर होरिजेंटल और 15 सेंटीमीटर वर्टिकल होगा।
यहां होगा इसका इस्तेमाल
डाटाबेस का इस्तेमाल तमाम एप्लीकेशन मॉड्यूल के साथ दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों, एजेंसियों और प्राधिकरणों की ओर से किया जाएगा। इस डाटा बेस को तैयार करने में भूवैज्ञानिकों के साथ आईटी प्रोफेशनल्स को भी शामिल किया जाएगा। इस डाटा के आधार पर बसों के रूट तय करने और ड्रेनेज या सीवर सिस्टम को अपग्रेड करने में मदद ली जाएगी। साथ ही इससे दिल्ली के लैंड रिसोर्सेज का सही इस्तेमाल करने में भी मदद मिलेगी।
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