तीन साल बाद लाइसेंस ‘जारी’ होने का दावा… पर शूटर बोला—“मुझे तो अभी तक न कागज मिला न सूचना”

तीन साल बाद लाइसेंस ‘जारी’ होने का दावा… पर शूटर बोला—“मुझे तो अभी तक न कागज मिला न सूचना”


एक क्लर्क ने मांगे थे 30 हजार, नहीं देने पर दी थी शूटर को फाइल अटकाने की धमकी



इमरान खान, नई दिल्ली

हरियाणा के पलवल में आर्म्स लाइसेंस रिन्यूअल को लेकर चल रहा विवाद अब और गर्म हो गया है। इंटरनेशनल शूटर शांतनु ठाकुर, जो देश के लिए कई मेडल जीत चुके हैं, पिछले तीन साल से अपना लाइसेंस लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। शांतनु का आरोप है कि SDM कार्यालय में बैठे क्लर्क ने रिन्यूअल फाइल आगे बढ़ाने के लिए ₹30,0,00 की रिश्वत मांगी, और इनकार करने पर उनकी फाइल जानबूझकर रोक दी गई। अब पलवल DC का कहना है—"लाइसेंस जारी कर दिया गया है, मामला सुलझ चुका है", लेकिन शूटर शांतनु का दावा है—"मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं, न कागज़ मिला, न कोई सूचना।" यह सरकारी फाइलों, प्रक्रियाओं और सिस्टम की धीमी चाल की एक ऐसी कहानी है, जिसमें एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तीन साल तक फंसा रहा और उसके करियर पर जिसका सीधा असर पड़ा है।  शांतनु ठाकुर, जिन्होंने हनोवर, सिंगापुर ओपन, नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप सहित कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत को रिप्रेजेंट किया है, ने अप्रैल 2022 में अपना आर्म्स लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए आवेदन किया था। लाइसेंस पहली बार 2013 में मिला था और 2016 व 2019 में नवीनीकरण हुआ था।

30,000 दो, तभी लाइसेंस रिन्यू होगा। नहीं दोगे, तो देखना फाइल कैसे अटकती है

अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके शांतनु ठाकुर ने अप्रैल 2022 में अपने आर्म्स लाइसेंस के रिन्यूअल के लिए आवेदन दिया था। शूटर का आरोप है कि SDM ऑफिस में एक क्लर्क ने उनसे कहा—“30,000 दो, तभी लाइसेंस रिन्यू होगा।” मना करने पर फाइल रोक दी गई। बाद में वही क्लर्क DC ऑफिस भेजा गया, जहां उसने लगातार नई आपत्तियां लगाकर प्रक्रिया और लंबी कर दी। शांतनु बताते हैं—“2022 से 2024 तक मैं एक टेबल से दूसरी टेबल भागता रहा। बाद में पता चला कि मेरे जवाब देने के बावजूद आपत्तियां फाइल में छुपाकर रखी गईं।”

सभी जांचें 2022 में पूरी—बचे सिर्फ SDM के साइन

दस्तावेज बताते हैं कि मई 2022 में पुलिस वेरिफिकेशन पूरा, 10 मई को पुलिस की NOC जारी, 27 मई को डिप्टी कमिश्नर की मंजूरी, बस SDM के सिग्नेचर बाकी थे… जो तीन साल तक नहीं हुए।

NRAI ने भी की पुष्टि —फिर भी फाइल धूल खाती रही

2024 में DCऑफिस ने NRAI से शूटर की कैटेगरी और सर्टिफिकेट की सत्यता पूछी। सितंबर 2024 में NRAI ने जवाब देकर शांतनु को अंतरराष्ट्रीय श्रेणी का सही खिलाड़ी बताया। इसके बावजूद फाइल नहीं बढ़ी।

मामला मंत्रालय तक पहुंचा, SDM पर जांच की सिफारिश

थककर शांतनु ने अप्रैल 2024 में मामला गृह विभाग तक पहुँचाया। 27 नवंबर को अतिरिक्त DC की अध्यक्षता में बैठक हुई, SDM से जवाब मांगा गया और रिपोर्ट DC को भेजी गई।

डीसी पलवल बोले—“लाइसेंस जारी कर दिया है”… शूटर बोले—“कहाँ है? मुझे तो नहीं मिला!”

मोर्चा संभालते हुए पलवल DC हरीश कुमार वशिष्ठ ने कहा— “शूटर का लाइसेंस स्पोर्ट्स कोटा में रिन्यू कर दिया गया है। Inquiry भी चल रही है।” लेकिन शांतनु ठाकुर ने इसका खंडन किया। उनका कहना है— “अभी तक मुझे कोई दस्तावेज, कॉल या मैसेज नहीं आया कि लाइसेंस जारी हुआ है। मैं अब भी इंतजार ही कर रहा हूँ।”

करियर पर बड़ा असर—18 स्टेट, 7 नेशनल, 4 इंटरनेशनल मेडल वाले शूटर का इंतजार जारी

लाइसेंस न मिलने से शांतनु कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले पाए। उनका कहना है—तीन साल की देरी ने उनके करियर पर सीधा असर डाला है। इस देरी ने शांतनु पर न सिर्फ मानसिक दबाव बढ़ाया, बल्कि इंटरनेशनल रैंकिंग और प्रैक्टिस पर भी असर डाला। दिल्ली के एक शूटिंग कोच का कहना है कि खेलों में तीन साल का ब्रेक किसी खिलाड़ी के करियर की दिशा बदल सकता है। प्रशासन को  अपने स्टेट और देश का नाम ऊंचा करने में खिलाड़ियों पूरा सहयोग करना चाहिए। इस प्रकार की तुच्छ हरकतें देश को नींचा दिखाती हैं।

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